
अरविंद सिंह मौर्य शिकारगंज/चकिया
बड़ी खबर सीतापुर से
दैनिक जागरण के पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई की दिनदहाड़े गोली मारकर की हत्या सीतापुर उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को चुनौती देते हुए कुख्यात अपराधियों व भूमाफियो ने दैनिक जागरण के पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी। हत्यारे ने सीधे योगी सरकार को चुनौती देते हुए यह कार्य किया इससे साबित हो गया की योगी सरकार में पत्रकारों की सुरक्षा का कोई भी पुख्ता इंतजाम नहीं है। स्वर्गीय राघवेंद्र बाजपेई लगातार पुलिस से जब इस बात की शिकायत कर रहे थे कि उनको धमकियां मिल रही है तो पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही व सुरक्षा नहीं की गई जिस कारण अपराधियों ने ऐसी घटना को अंजाम दिया, इससे पुलिस की कार्य प्रणाली पर सीधे प्रश्न चिन्ह लगता है।
क्या पुलिस इस बात का इंतजार कर रही थी कि जब पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई की हत्या हो जाए तब सिर्फ खाना पूर्ति कर दी जाए। कहीं ना कहीं इसमें पत्रकार की हत्या में संबंधित थाना पुलिस अधिकारियों की मिली भगत भी साबित हो रही है, क्योंकि राघवेंद्र निष्पक्ष पत्रकारिता करते हुए कई लोगों का काला चिट्ठा खोल रहे थे
जिससे कई अधिकारियों की आमदनी पर भी मार पड़ रही थी। दैनिक जागरण के पत्रकार की हत्या से उत्तर प्रदेश के पत्रकारों में रोष व्याप्त है। योगी सरकार पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कोई बिल व विधेयक नहीं ला रही है और जब संबंधित थाना पुलिस के अधिकारियों से सुरक्षा की मांग की जाती है तो सिर्फ खाना पूर्ति करके मामले को दबा देते हैं जिसका खामियाजा पत्रकारों को भुगतना पड़ता है, राघवेंद्र वाजपेई की हत्या भी इसी कड़ी में शामिल है।
पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई के परिवार को राज्य सरकार कम से कम एक करोड़ रुपये का मुआवजा दे तथा परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी प्रदान करें ताकि राघवेंद्र बाजपेई के परिवार का भरण पोषण सुचारू रूप से हो सके और उनके जो दो छोटे बच्चे हैं उनकी शिक्षा भी अग्रिम श्रेणी तक पहुंच सके,
अधिकारियों का उनके घर जाना आना आम बात है जिस जगह राघवेंद्र की हत्या हुई उस जगह पर सीसीटीवी फुटेज का न मिलना यह भी पुलिस की कार्य प्रणाली पर एक प्रश्न चिन्ह है,
जबकि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार त्रिनेत्र (सी सी टीवी कैमरा) को लगवाने की बात करती चली आ रही है तो उस स्थान पर कैमरे क्यों नहीं थे यह भी एक गम्भीर बात है। पत्रकारों की हत्याएं जिस तरह से हो रही हैं इससे साफ हो चुका है की जो भी पत्रकार भ्रष्टाचारी भू माफिया,खनन माफिया व दलालों के खिलाफ खबर लिखेगा उसकी हत्या कभी भी की जा सकती है और धमकी की शिकायत अगर पुलिस के आलाधिकारियों से करेगा तो वह उनकी कोई सुनवाई नहीं करेंगे इसका जीता जागता उदाहरण है राघवेंद्र बाजपेई,
अगर पुलिस उनकी सुरक्षा कर देती तो शायद आज राघवेंद्र बाजपेई हमारे बीच में बने रहते दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई की हत्या का मामला पत्रकारों के बीच दहशत का माहौल बनाए हुए है और अब हर पत्रकार इस आशंका से जी रहा है कि अगर सच्चाई उजागर कर दी तो उनका भी हस्र यही होगा।
अब देखना यह होगा की योगी सरकार के पुलिस के अधिकारी व कर्मचारी कितने दिनों में इस हत्याकांड का पर्दाफाश कर पाते हैं और हत्यारों को क्या सजा मिलती है इस ओर सभी की निगाहें लगी हुई है, राज्य सरकार स्वर्गीय राघवेंद्र वाजपेई के परिवार को उचित मुआवजा दे तथा परिवार को नौकरी दे ताकि उनके परिवार का भरण पोषण सुचारू रूप से चल सके,
इस दु:ख की घड़ी में समस्त पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई के साथ हैं और उनके परिवार के प्रति पूरी सहानुभूति रखते हैं