उत्तर प्रदेश

भारत का ब्रांड संगठन भारतीय मीडिया फाउंडेशन की जीत: अमिताभ बच्चन के प्रचार कालर ट्यून पर सरकार का निर्णय।

पत्रकार अरविंद सिंह मौर्य की रिपोर्ट

नई दिल्ली:
भारत का ब्रांड संगठन भारतीय मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक ए.के. बिंदुसार द्वारा अमिताभ बच्चन की आवाज़ में चल रही कॉलर ट्यून को लेकर उठाए गए मुद्दे पर केंद्र सरकार ने उचित निर्णय लिया है. इस फैसले को संगठन की एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है।


उपभोक्ताओं को सुनाई देने वाली अमिताभ बच्चन की आवाज़ वाली कॉलर ट्यून पर सवाल उठने लगे थे. इस ट्यून में साइबर हमले से बचाव के संदेश दिए जाते थे, लेकिन कई लोगों का मानना था कि आपातकालीन स्थिति में यह ट्यून अनावश्यक देरी का कारण बन रही है और महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने में बाधा डाल रही है।


ए.के. बिंदुसार ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था. उन्होंने तर्क दिया था कि जब लोग अपने प्रियजनों के लिए अस्पताल के बेड, ऑक्सीजन सिलेंडर, और दवाओं की तलाश में थे, और हर एक सेकंड कीमती था, तब यह कॉलर ट्यून कॉल लगने में विलंब कर रही थी. उन्होंने सरकार से अपील की थी कि इस आपातकालीन स्थिति को देखते हुए इस ट्यून को तत्काल प्रभाव से हटा दिया जाए या कम से कम इसकी अवधि को कम किया जाए ताकि लोगों को महत्वपूर्ण जानकारी तक पहुँचने में बिलम्ब न हो।

भारत सरकार ने कॉलर ट्यून के मुद्दे को लिया संज्ञान


सरकार ने ए.के. बिंदुसार और अन्य लोगों द्वारा उठाए गए इन गंभीर चिंताओं पर ध्यान दिया. विभिन्न स्टेकहोल्डर्स के साथ विचार-विमर्श के बाद, सरकार ने जनहित को ध्यान में रखते हुए इस कॉलर ट्यून को बंद करने का निर्णय लिया.

यह निर्णय एक संवेदनशील और प्रतिक्रियाशील प्रशासन का उदाहरण माना जा रहा है, जिसने जनता की जरूरतों और आपातकालीन परिस्थितियों की गंभीरता को समझा.


भारत का ब्रांड संगठन भारतीय मीडिया फाउंडेशन ने सरकार के इस त्वरित और उचित निर्णय का स्वागत किया है. ए.के. बिंदुसार ने कहा, “यह सिर्फ हमारी जीत नहीं, बल्कि यह जनता की जीत है.

ए. के. बिंदुसार ने कहा हमारे संगठन ने हमेशा जनहित के मुद्दों को उठाया है और सरकार से अपेक्षा करते हैं कि वह ऐसे मामलों में संवेदनशीलता दिखाए. हमें खुशी है कि सरकार ने हमारी अपील को सुना और उचित कार्रवाई की।
यह घटना इस बात को रेखांकित करती है कि कैसे नागरिक संगठन और व्यक्तिगत पहल सरकार की नीतियों को प्रभावित कर सकती हैं और सार्वजनिक कल्याण के लिए सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं।

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