जामेश्वर महादेव के जोड़ा शिवलिंग के दर्शन से पूरी होती हैं मुरादें……!

जामेश्वर महादेव के जोड़ा शिवलिंग के दर्शन से पूरी होती हैं मुरादें
पत्रकार प्रशान्त कुमार की रिपोर्ट
चन्दौली सकलडीहा:जामडीह गांव में जामेश्वर महादेव की स्वंय अवतरित डबल शिव लिंग
सकलडीहा,क्षेत्र के जामडीह गांव में पौने दो सौ वर्ष से अधिक प्राचीन डबल शिवलिंग का जामेश्वर महादेव की मंदिर है। मान्यता है कि यहां पर मंगल कामना और मन्नत लेकर आने वाली हर लोगों की मुरादें पूरी होती हैं। सावन माह और महाशिवरात्रि व दिपावली के दूसरे दिन दर्शन पूजन के लिये महिलाओं का काफी भीड़ जुटती है। माना जाता है कि मंदिर पर महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण करने वालो की अकाल मृत्यु भी टल जाता है।
पौने दो सौ वर्ष गाजीपुर जनपद के सराय पोस्ता स्टीमर घाट निवासी सुखलाल अग्रहरी चंदौली अपने रिश्तेदार के घर से लौट रहे थे। ग्रामीणों के अनुसार जामडीह गांव में पीपल के पेड़ के नीचे एक स्वप्न में भगवान शिव का सुखलाल अग्रहरी को दर्शन प्राप्त हुआ था। सुखलाल अग्रहरी ने उसी पीपल के नीचे मंदिर स्थापना के लिये खोदाई शुरू कराया। वहां पर स्वंय अवतरित जोड़ा शिवलिंग दिखायी दिया। सुखलाल अग्रहरी ने भगवान भोलेनाथ पर आस्था रखते हुए मंदिर का स्थापना किया। मंदिर स्थापना के बाद उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। उनका पुत्र शिव प्रसाद अग्रहरी, भोला अग्रहरी, काशी प्रसाद अग्रहरी और लच्छु अग्रहरी परिजनों के साथ आज भी दर्शन पूजन के लिये आते है। ग्राम प्रधान बिहारी यादव ने बताया कि यहां पर दूर दराज और कई जिले की महिलायें दर्शन पूजन के लिये आती है। आस्था के साथ पूजा करने वाले कभी निराश नहीं होते है।
काशी विश्वनाथ मंदिर से पुराना है स्वंय भू कालेश्वर मंदिर का इतिहास
फोटो: स्वंय भू कालेश्वर नाथ मंदिर में लेट कर मत्था टेकेते हुए भक्त
सकलडीहा। चतुर्भुजपुर स्थित स्वंय भू कॉलेश्वर नाथ मंदिर का इतिहास करीब साढ़े चार सौ साल पुराना है। यह मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर से पूर्व का है। मान्यता है कि यहां पर दर्शन पूजन करने वालों की सभी मूरादे पूरी होती है। सावन माह में महामृत्युंजय जाप और अंखड पूजन करने वालों की अकाल मृत्यु भी टल जाता है। सावन माह के दूसरे सोमवार को दर्शन पूजन के लिये शाम से भी भक्तों का भीड़ जुटने लगा है। मंदिर के अंदर और बाहर दर्शनार्थियों के लिये बैरियर से लेकर रबर पैड और शीतल जल की व्यवस्था किया गया है। मंदिर के पीआरओ पीयूष तिवारी ने बताया कि मंदिर का इतिहास काशी विश्वनाथ मंदिर से भी पुराना है। मंदिर पर दर्शन पूजन के लिये समस्त व्यवस्था किया गया है।