
ज्ञान के लिए जिज्ञासा और प्रेम के लिए पिपासा के बिना भक्ति पाना मुश्किल–राधारमणाचार्य

शहाबगंज इलिया। शहाबगंज विकास खंड क्षेत्र के बरहुआ गांव में आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिन आचार्य राधारमणाचार्य जी महाराज ने कहा कि हर मनुष्य जन्म से शुद्र होता है लेकिन कर्म करने से पंडित होता है। ज्ञान और वैराग्य में गोकर्ण व धुंधकारी की कथा का श्रवण करते हुए कहा कि हमारा मन ही धुंधकारी है, लेकिन ज्ञान रूपी कथा अमृत को पान कर संसार रूपी भव सागर से पार किया जा सकता है।

कथावाचक कहते हैं कि वैराग्य एक वह स्थिति हैं जो गहरे भाव से उत्पन्न होती हैं। आनंद रूपी रस के दो मार्ग और ज्ञान और भक्ति हैं। यानि ईश्वर के प्रति प्रेम परन्तु इन दोनों मार्गो मे चलने के लिए एक बात परम आवश्यक है ज्ञान के लिए जिज्ञासा और प्रेम के लिए पिपासा होना जरूरी है। इसके बिना कोई आगे नहीं बढ़ पाया।

कथा में राजेंद्र सिंह मौर्य, मालती देवी, आरती देवी, गीता देवी, मुन्नी देवी, सपना, नेहा मौर्य, निधि, सलोनी, सूर्यनाथ यादव, हृदय नारायण, बबलू श्रीवास्तव, स्वामीनाथ उपाध्याय, रमाकांत मौर्य, श्रीकांत सिंह, सूरज कुमार, निखिल कुमार, नितेश कुमार सहित थमाम श्रोतागण मौजूद रहें।